दोस्तों portfolio kya hota hai और पोर्टफोलियो आपके द्वारा किए गए निवेश का संग्रह होता है जिसमें स्टॉक्स बॉन्ड , कमोडिटीज म्युचुअल फंड्स ईटीएफ आदि आते हैं मतलब आपने कितना पैसा किस जगह इन्वेस्ट किया इसकी जानकारी पोर्टफोलियो बताता है शेयर मार्केट में निवेश करने से पहले हर एक निवेशक के लिए उसका पोर्टफोलियो सबसे important होता है क्योंकि इसी के द्वारा तय होता है कि भविष्य में आपकी इन्वेस्टमेंट बढ़ेगी या घटेगी तो आज हम इस पोस्ट में जानेंगे पोर्टफोलियो क्या होता है , पोर्टफोलियो कितने प्रकार के होते हैं , पोर्टफोलियो कैसा होना चाहिए , एक अच्छा पोर्टफोलियो कैसे बनाते हैं और पोर्टफोलियो निर्माण करते समय क्या ध्यान रखना चाहिए आज हम सभी बातों का गहराई से मतलब समझने का प्रयास करेंगे तो आज के इस लेख को पूरा पढ़े।
Portfolio Kya Hota Hai
दोस्तों पोर्टफोलियो का हिंदी में अर्थ होता है निवेश सूची यह आपकी financial निवेशक का संग्रह होता है जो दर्शाता है कि आपने किस निवेश विकल्प स्टॉक बॉन्ड फ्यूचर ऑप्शन कमोडिटीज क्या शादी में कितना पैसा इन्वेस्ट किया हुआ है।
पोर्टफोलियो शब्द का अर्थ निवेशक का समूह मतलब आपके द्वारा स्टॉक ,कमोडिटी ,बॉन्ड या म्यूचुअल फंड में निवेश किए गए पैसों के समूह को पोर्टफोलियो कहते हैं शेयर बाजार में खरीदे गए स्टॉक का समूह भी पोर्टफोलियो कहलाता है शेयर मार्केट में आपका पोर्टफोलियो diversify होगा उसमें उतना रिस्क भी कम होगा
- आसान शब्दों में समझें आपके द्वारा निवेश किए गए विकल्पों की सूची को ही पोर्टफोलियो कहते हैं
आपके निवेश की राशि (Investment amount) जितनी बड़ी होगी आपका पोर्टफोलियो उतना ही बड़ा होगा - मतलब जैसे जैसे आपके इन्वेस्टमेंट की वैल्यू बढ़ती जाती है तो आपके पॉटफुल ही निवेश का साइज में बढ़ता जाता है
आपको अपने निवेश पर भविष्य में कितना रिटर्न मिलेगा यह बात पर निर्भर करता है कि आपके पोर्टफोलियो में कौन से इन्वेस्टमेंट में ऑप्शंस मौजूद है।
अगर आपके प्रोफाइल में कोई अच्छा मजबूत कंपनी का शेयर है तो भविष्य में उस शेयर की कीमत बढ़ने पर साथ ही साथ आपका पोर्टफोलियो भी बढ़ जाएगा।
ठीक इसी प्रकार अगर आप किसी घटिया कंपनी के संस्था को खरीद लेते हैं तो उसका शेयर प्राइस गिरने पर आपके पोर्टफोलियो काफी नुकसान होगा।
How to make a Portfolio for share market
शेयर मार्केट अपने जिन कंपनियों के शेयर में पैसा invest करते हैं उन शेयर की list को ही Stock Market Portfolio कहते हैं और यदि आपको शेयर मार्केट पोर्ट होली के बारे में गहराई से समझना है तो आप इस वीडियो को सहारा ले सकते हैं इस वीडियो के माध्यम से आप समझ सकते हैं कि शेयर मार्केट में पोर्टफोलियो का मतलब क्या होता है।
Portfolio Kha Par Dekh Sakte Hai
बहुत सारे लोग सोचते हैं कि हम अपना पोर्टफोलियो निवेश कहां पर और कैसे देख सकते हैं मतलब हमने कितना पैसा इन्वेस्ट किया है उस पर कितना रिटर्न मिले हैं यह कैसे देखें।
पोर्टफोलियो इन्वेस्टमेंट देखना बहुत आसान है
इसके लिए आपको अपने डीमेट अकाउंट में लॉग इन करना होगा मान लीजिए अगर आप अपने इंडिया के नंबर वन ब्रोकर UPSTOCKS के पास भी डिमैट अकाउंट खोला रखा है और कुछ शेयर Buy किए हैं और अब आप भी देखना चाहते हैं कि आपका पोर्टफोलियो कितना बढ़ा या घटा तो सबसे पहले आपको अब UPSTOCKS की ऐप खोलना और उसमें पोर्टफोलियो के अंदर होल्डिंग सेक्शन के अंदर देखिए कि आपने कौन-कौन से और कितने शेयर खरीदे हैं और किस शेयर पर कितना रिटर्न पर मिला है।
यदि आपने mutual fund में पैसा निवेश करा है तो वहां पर आप कैसे देख सकते हैं अपने पोर्टफोलियो को
अगर आपने शेयर के अलावा mutual fund या ETF आदि में पैसा निवेश किया हुआ है तो वहां भी आपको होल्डिंग के अंदर दिखाई दे जाएगा।
पोर्टफोलियो अपना जरूरी नहीं कि upstocks में होल्डिंग पर क्लिक करने से आपका पोर्टफोलियो दिखाई देता है यह तो सभी broking apps में ही होगा।
हो सकता है कि अगर आपका निरोधक Angel broking , 5paisa या अन्य किसी broker के पास डिमैट अकाउंट है तो उसमें पोर्टफोलियो देखने का कोई अन्य ऑप्शन हो लेकिन पोर्टफोलियो देखना बहुत आसान होता है चाहे वह कोई भी broking app क्यों ना हो इसलिए इस विषय पर ज्यादा बात नहीं करेंगे चली आगे बढ़ते हैं।
Portfolio Ko Dekhkar Kya Pata Chalta Hai
पोर्टफोलियो को देखकर आपको पता चलता है कि–
- आपने किस जगह कितना पैसा इन्वेस्ट किया है,
- अब तक आपको किस निवेश पर कितने रिटर्न मिल चुके हैं,
- अब तक आपके किस इन्वेस्टमेंट की वैल्यू कितनी बड़ी या घटी है,
- आज किस निवेश की वैल्यू कितने रुपये या कितने प्रतिशत (%) बढ़ या घट चुकी है,
- आप कुल कितना पैसा लगा चुके हैं और अब उसकी वैल्यू कितनी बची हुई है,
- अब तक आपने कुल कितने शेयर (EQUITY), F&O, म्यूच्यूअल फंड, बॉन्ड खरीद रखे हैं
- और आपने जितना पैसा लगाया था उसके मुकाबले किस निवेश की वैल्यू कितनी बढ़ या घट चुकी है।
Example of Portfolio in Hindi
पोर्टफोलियो को एक आसान उदाहरण से समझते हैं–
मान लीजिए आपके पास निवेश करने के लिए 1 लाख रुपये हैं. अब आप इन 1 लाख रुपये में से-
- 50 हज़ार रुपये के शेयर खरीद लेते हैं,
- 20 हजार रुपये म्यूचुअल फंड में इन्वेस्ट कर देते हैं
- और बचे हुए 30 हजार रुपये किसी गवर्नमेंट बॉन्ड में निवेश कर देते हैं।
क्योंकि आपने टोटल 1 लाख रुपये निवेश किया इसीलिए इस समय आपके पोर्टफोलियो की वैल्यू 1 लाख रुपये है।
लेकिन 1 साल बाद-
- आपके द्वारा खरीदे गए शेयर की वैल्यू बढ़कर 60 हजार रुपये हो जाती है,
- mutual fund की वैल्यू बढ़कर 30 हजार हो जाती है
- और government bond की कीमत बढ़कर 40 हजार हो जाती है।
इस प्रकार 1 साल बाद आपके पोर्टफोलियो की कुल वैल्यू होगी:
(60 हजार +30 हजार +40 हजार) = 1 लाख 30 हजार रुपये
निवेश विकल्प | निवेश राशि | 1 साल बाद निवेश राशि | Investment Returns |
---|---|---|---|
शेयर | 50000 | 60000 | 20% |
म्यूच्यूअल फंड | 20000 | 30000 | 50% |
गवर्नमेंट बॉन्ड | 30000 | 40000 | 33.33% |
कुल राशि | Total 1 लाख रुपये | 1 लाख 30 हजार रुपये | Average Ruturn = 30% |
मतलब 1 साल बाद आपके पोर्टफोलियो की Total value 1 लाख 30 हजार रुपये होगी और आपके निवेश पर रिटर्न 30% होगा।
तो आप कह सकते हैं कि 1 साल में आपका पोर्टफोलियो का साइज 30% बढ़ चुका है।
इस उदाहरण में, आपके पोर्टफोलियो को डायवर्सिफाइड पोर्टफोलियो कहा जाएगा क्योंकि आपने किसी एक ही जगह इन्वेस्टमेंट करने के बजाए (शेयर + म्यूच्यूअल फंड + बॉन्ड) तीनों में पैसा लगाया है।
उम्मीद करता हूं अब तक आप पोर्टफोलियो का मतलब (Portfolio meaning in hindi) समझ गए होंगे
Types of Portfolio in Hindi
पोर्टफोलियो कई प्रकार के होते हैं जैसे;
- Less Risky यानी Defensive Portfolio,
- High Risky यानी Aggressive Portfolio,
- Income Portfolio (डिविडेंड के लिए) और
- Speculative Portfolio (फ्यूचर एंड ऑप्शन ट्रेडिंग के लिए)
- Diversified Portfolio
चलिए इन सभी Types of portfolio को उदाहरण सहित समझ लेते हैं–
1. Defensive Portfolio Meaning in Hindi
डिफेंसिव पोर्टफोलियो का अर्थ है कम रिस्की पोर्टफोलियो. यह सबसे safe होता है क्योंकि इसमें आप केवल उसी जगह निवेश करते हैं जहां पर आपका पैसा सुरक्षित रहता है। इसे हम Less Risky portfolio भी कहते हैं।
Example of Defensive Portfolio in hindi–
जब आप शेयर बाजार में Nifty 50 वाले stocks में पैसा निवेश करते हैं यानी large cap वाली blue chip कंपनियों के शेयर खरीदते हैं तो आपका पैसा हमेशा सुरक्षित रहता है क्योंकि लॉन्ग टाइम में अगर देखा जाए तो निफ्टी इंडेक्स हमेशा बढ़ता ही है.
मतलब अगर आपने TCS या रिलायंस इंडस्ट्रीज का शेयर खरीदा है तो आपका पैसा बढ़ने के चांसेस बहुत ही ज्यादा होते है क्योंकि इतनी बड़ी और मजबूत कंपनियां हमेशा long term में अच्छे रिटर्न देती हैं क्योंकि इनका बिजनेस बहुत ही मजबूत होता है।
- Index fund और लार्ज कैप म्युचुअल फंड भी Defensive Portfolio का ही उदाहरण है।
- इस प्रकार के पोर्टफोलियो में जोखिम बहुत ही कम होता है
- इसमें रिटर्न धीरे-धीरे लेकिन consistently यानी लगातार मिलते रहते हैं।
- इनमें आपका पैसा 99% सुरक्षित रहता है।
अगर आप स्टॉक मार्केट में एक नए निवेशक हैं तो आपको हमेशा कम रिस्की यानी defensive पोर्टफोलियो में ही निवेश करना चाहिए।
2. Aggressive Portfolio Meaning in Hindi
Aggressive Portfolio का अर्थ है अधिक जोखिम वाला पोर्टफोलियो. इसमें आप high रिस्की इन्वेस्टमेंट करते हैं। इस प्रकार का पोर्टफोलियो अधिक रिटर्न पाने के लिए बनाया जाता है। यह Defensive Portfolio का बिल्कुल उल्टा होता है।
- इसमें आप पैनी स्टॉक्स खरीदते हैं जिनमें आपका पैसा या तो बहुत ज्यादा बढ़ सकता है या फिर पूरा डूब सकता है।
- आपका यह पोर्टफोलियो निफ्टी और सेंसेक्स की तुलना में बहुत तेजी से ऊपर नीचे होता है।
- इसमें आप छोटी यानी small cap कंपनियों में पैसा लगाते हैं।
आपको बता दूं कि अगर आप एक नए निवेशक हैं और रिस्क नहीं लेना चाहते तो इस प्रकार के Aggressive Portfolio से दूर रहिए.
क्योंकि यह पोर्टफोलियो केवल वही लोग बनाते हैं जिन्हें शेयर बाजार का अच्छा खासा अनुभव होता है और जो लोग रिस्क लेने को तैयार हैं।
मतलब यह पोर्टफोलियो वही लोग बनाते हैं जो कम समय में अधिक रिटर्न कमाना चाहते हैं इसीलिए वह safe stocks की बजाए small cap या micro cap कंपनियों में पैसा इन्वेस्ट करना पसंद करते हैं क्योंकि वह जानते हैं कि large cap कंपनियों में पैसा बहुत धीरे-धीरे बढ़ता है जबकि छोटी कंपनियों में पैसा बहुत तेजी से बढ़ता है
लेकिन याद रखिए– छोटी कंपनियों में पैसा डूबने के चांसेस भी बहुत ज्यादा होते हैं क्योंकि इन कंपनियों का बिजनेस ज्यादा stable नहीं होता है. तो अगर आप हाई रिस्क और हाई रिटर्न माइंडसेट से पोर्टफोलियो निर्माण करना चाहते हैं तो आप इस प्रकार का Aggressive Portfolio बना सकते हैं।
3. Income Portfolio Meaning in Hindi
Income Portfolio का मकसद होता है डिविडेंड के लिए निवेश करना। मतलब जब आप केवल उन्हीं कंपनियों के शेयर खरीदते हैं जो डिविडेंड देते हैं तो ऐसा कहा जाएगा कि आपने Income Portfolio बनाया है।
इसका मतलब है कि यह पोर्टफोलियो केवल डिविडेंड इनकम के लिए बनाया जाता है जिसमें निवेशक यह चाहता है कि उसे हर साल अपने खरीदे गए शेयर पर डिविडेंड के रूप में पैसा मिलता रहे और शेयर प्राइस की growth का अलग फायदा मिले।
इसमें आप डिविडेंड देने वाले शेयर जैसे– ITC, NTPC, Oil India आदि स्टॉक्स में पैसा इन्वेस्ट करते हैं ताकि आपको हर साल डिविडेंड राशि के रूप में कुछ रिटर्न मिलता रहे।
- मान लो अगर कोई शेयर हर साल 10% dividend देता है और आपने उसमें 10 लाख रुपये निवेश किये हैं तो हर साल आपको अपने निवेश राशि के 10% यानी 1 लाख रुपये डिविडेंड इनकम के रूप में मिलता रहेगा और शेयर प्राइस की growth का अलग फायदा होगा।
तो अगर आप बैंक के सेविंग अकाउंट या FD में अपना पैसा नहीं रखना चाहते तो Income Portfolio एक अच्छा ऑप्शन है।
4. Speculative Portfolio Meaning in Hindi
यह पोर्टफोलियो फ्यूचर एंड ऑप्शंस में ट्रेडिंग करने के लिए बनाया जाता है। इसमें आपका पैसा बहुत जल्दी बढ़ने या घटने के चांसेस होते हैं इसीलिए इसे Speculative Portfolio कहा जाता है।
अगर आप investment करने के करने की बजाए ट्रेडिंग करने के लिए पैसा लगाते हैं तो वह speculation की कैटेगरी में आता है।
इसमें स्विंग ट्रेडिंग, इंट्राडे ट्रेडिंग और ऑप्शन ट्रेडिंग शामिल है। इन सभी में से ऑप्शन ट्रेडिंग सबसे ज्यादा रिस्की मानी जाती है क्योंकि इसमें आपके लाखो रुपये कुछ ही मिनटों में जीरो हो सकते हैं जी हां यह पॉसिबल है options के जरिए.
एक तरह से देखा जाए तो जो पैसा आप खोने के लिए तैयार हैं उससे आप Speculative Portfolio बना सकते हैं।
5. Diversified Portfolio Meaning in Hindi
डायवर्सिफाइड पोर्टफोलियो का मतलब होता है अलग-अलग जगह पैसा निवेश करना ताकि जोखिम को कम किया जा सके.
- यह पोर्टफोलियो आपके Risk को कम करने के मकसद से बनाया जाता है.
- इस प्रकार के पोर्टफोलियो को बनाने के पीछे उद्देश्य होता है कि अगर एक कंपनी का शेयर डूब भी जाता है तो दूसरी कंपनी हमें बचा लेगी.
- मतलब अगर आपके पास 10 लाख रुपये हैं तो उन्हें एक या दो कंपनी में निवेश करने के बजाए 10 अलग-अलग कंपनियों में निवेश कर दीजिए।
- इस प्रकार अगर 8 कंपनियां पूरी तरह से डूब भी जाती हैं और केवल 2 कंपनियों के stocks मल्टीबैगर बन जाते हैं तो आपका इन्वेस्टमेंट तो रिकवर हो ही जाएगा साथ ही आपको बेहतर return भी मिल जाएंगे।
अब अगर इन्वेस्टमेंट के हिसाब से देखा जाए तो कुछ अन्य प्रकार के पोर्टफोलियो निम्न हैं;
Types of Investment Portfolio in hindi:
- Stock Portfolio
- Mutual Fund Portfolio
- Index Fund Portfolio
- Commodities Portfolio
- Real Estate Portfolio
- Debt Fund Portfolio
Why Portfolio is important in share market hindi
निवेशकों के मन में अक्सर सवाल होता है कि हम पोर्टफोलियो बनाना क्यों सीखे? क्योंकि पहले तो हमने सही स्टॉक सिलेक्ट करना सीखा तो क्या अच्छे returns कमाने के लिए यह काफी नहीं है.
तो चलिए अब यही जानते हैं कि पोर्टफोलियो बनाना क्यों जरूरी होता है–
दोस्तों best stocks सिलेक्ट करने से भी ज्यादा जरूरी होता है पोर्टफोलियो सही कैसे बनाया जाता है उसके नियम आपको पता होना चाहिए जैसे;
कई बार आपने शेयर बाजार में किसी को बोलते सुना होगा कि उसने कोई शेयर खरीदा था जो अब 10 गुना हो गया है. तो हम सोचते हैं कि उसे बहुत कुछ आता होगा और उसने कितना पैसा कमाया होगा…
लेकिन क्या आपको पता है सही सवाल यह नहीं है कि स्टॉक कितने गुना बढ़ गया या कितने प्रतिशत (%) बढ़ गया बल्कि सही सवाल यह है कि उस व्यक्ति ने उस share में अपने टोटल कैपिटल का कितना पैसा लगाया था.
क्योंकि कई बार ऐसा होता है कि-
- हमारे पास 1 लाख रुपये हैं और उन 1 लाख में से हमने केवल 1 हजार रुपये उस शेयर में लगाए थे.
- अब अगर वह शेयर 10 गुना बढ़ भी गया यानी 1000 का 10000 रुपये हो भी गया तो हमारे पोर्टफोलियो में क्या फर्क आया,
- 1 लाख से पोर्टफोलियो बढ़कर 1 लाख 10 हजार का हो गया मतलब पोर्टफोलियो तो 10% ही बढ़ा. लेकिन वह सब जगह कहता फिर रहा है कि मैंने जिसमें पैसा लगाया तो मेरा पैसा 10 गुना हो गया.
तो कहने का मतलब यह है कि हमें यह नहीं पता होता कि minimum किसी शेयर में कितना पैसा लगाना है और maximum किसी शेयर में कितना पैसा लगाना है।
मतलब अगर हमने बहुत रिसर्च करके कोई अच्छा शेयर खरीद लिया और कुछ समय बाद वह 10 गुना या 100 गुना बढ़ भी गया लेकिन हमने पैसा बहुत थोड़ा सा लगाया था इसलिए आपका फायदा भी हमें बहुत ही कम होगा।
तो अब सवाल आता है कि–
पोर्टफोलियो बनाते समय किस शेयर में कितना पैसा लगाएं?
पोर्टफोलियो बनाते समय एक नियम हमेशा फॉलो करिए कि अपने पोर्टफोलियो के किसी भी शेयर में अपनी total capital का मिनिमम 4% तो लगाना ही चाहिए। ताकि अगर भविष्य में वह share बढ़ता है तो आपके overall पोर्टफोलियो में आपको फायदा मिले।
What is Portfolio management in hindi
अपने पोर्टफोलियो में जोखिम (Risk) को balance करना या मैनेज करना ही पोर्टफोलियो मैनेजमेंट कहलाता है.
आईए इसका एक उदाहरण देखते हैं–
मान लीजिये आप अपने पोर्टफोलियो में सिर्फ फार्मा (Pharma) कंपनियों के शेयर रखते हैं क्योंकि आपको लगता है कि future में फार्मा सेक्टर में अच्छी ग्रोथ आने वाली है.
इसलिए आप एक कंपनी A के शेयर खरीद लेते हैं क्योंकि उसकी बैलेंस शीट, फंडामेंटल और वैल्यूएशन तीनों ही अच्छे है।
फिर आप फार्मा सेक्टर की ही दूसरी कंपनी B के शेयर खरीदते हैं क्योंकि उसका भी अच्छा वैल्यूएशन, अच्छा मैनेजमेंट और debt भी कम है।
इस प्रकार देखा जाए तो दोनों ही individually बहुत ही अच्छे stocks हैं इसीलिए आपने दोनों ही स्टॉक्स का फंडामेंटल एनालिसिस किया और अपने पोर्टफोलियो में डाल दिया.
लेकिन आपके पोर्टफोलियो में आते ही वह शेयर बुरे हो जाते हैं… पता है कैसे?
क्योंकि हो सकता है कि दोनों ही pharma कंपनियां कैंसर की दवाई बनाती हों.
जबकि आपको ऐसा करना चाहिए कि एक कंपनी जो शायद कैंसर की दवाई बनाती हो और दूसरी कंपनी जो डायबिटीज की दवाई बनाती हो.
मतलब अगर आपने दोनों ही कंपनियां एक ही दवाई (cancer) बनाने वाली ले ली तो कहने के लिए तो आपके पास दो stocks है लेकिन उन दोनों का future एक ही चीज पर डिपेंड करता है कि कैंसर थेरेपी या कैंसर ट्रीटमेंट का विज्ञान कैसे आगे बढ़ता है और उस इंडस्ट्री में कितना कंपटीशन आता है.
इस प्रकार चांसेस यह होंगे कि वह दोनों स्टॉक्स एक साथ बढ़ेंगे और एक साथ गिरेंगे, मतलब दो stocks लेने का कुछ भी फायदा नही हुआ
ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि आपने risk को मैनेज नहीं किया. हालांकि individual वह अच्छे स्टॉक्स थे लेकिन दोनों को साथ में खरीदना अच्छा नहीं होता.
यही प्रॉब्लम आपको बैंक में भी देखने को मिलती है. कई बार हम HDFC और Kotak को जानते हैं जोकि काफी safe बैंक हैं क्योंकि ये अपने risk को diversify रखते हैं, NPA को भी कंट्रोल में रखते हैं।
तो अगर आपने इन दोनों को अपने पोर्टफोलियो में रख लिया एक तरह से आप similar banks अपने पोर्टफोलियो में रख रहे हो.
वहीं अगर आप IDFC First Bank जो कि अपने fast growth और रिटेल lending के लिए जाना जाता है इसे खरीद लिया और ICICI और RBL को भी शामिल कर लिया.
मतलब आपने 2-3 risky स्टॉक्स को अपने पोर्टफोलियो में शामिल कर लिया तो अगर बैंकिंग इंडस्ट्री में NPA में या किसी अन्य वजह से प्रॉब्लम आती है तो हो सकता है कि तीनों बैंकों में प्रॉब्लम आए.
तो एक सही बैंकिंग पोर्टफोलियो क्या होगा?
इसके लिए आपको अपने पोर्टफोलियो में high risk और safe दोनों बैंकों के शेयर रखना है।
- High risky शेयर आपको उस समय बहुत ज्यादा रिटर्न दे सकते हैं जब बैंकिंग इंडस्ट्री में boom आएगा
- और safe banks आपको उस समय बचा कर रखेंगे जब बैंकिंग सेक्टर में कोई क्राइसिस आएगा।
तो अब तक आपने जाना कि एक ही तरह के स्टॉक्स अपने पोर्टफोलियो में नहीं रखना चाहिए बल्कि अलग-अलग प्रकार के stocks में पोर्टफोलियो डायवर्सिफाई करना चाहिए
ताकि अगर एक सेक्टर में कोई बड़ा संकट आता है तो आपका पूरा पोर्टफोलियो खत्म ना हो जाए उस समय आपको दूसरे प्रकार के stocks बचा कर रखेंगे और इसी को पोर्टफोलियो मैनेजमेंट कहते हैं।
उम्मीद करता हूं अब आप पोर्टफोलियो मैनेजमेंट करना सीख गए होंगे।
What you need to know about a Portfolio in Hindi
एक पोर्टफोलियो विकसित करते समय, यह बहुत महत्वपूर्ण है कि वित्तीय सलाहकार बाजार की अस्थिरता के जोखिम को कम करने के लिए निवेशक की जोखिम सहनशीलता का आकलन करता है। जहां एक जोखिम-सहिष्णु निवेशक अंतरराष्ट्रीय निवेश के अवसरों के साथ-साथ आक्रामक लार्ज-कैप ग्रोथ स्टॉक पोजीशन में स्मॉल-कैप ग्रोथ स्टॉक जोड़ने के लिए उपयुक्त हो सकता है, एक रूढ़िवादी निवेशक ब्रॉड-बेस्ड मार्केट इंडेक्स फंड और लार्ज-कैप वैल्यू स्टॉक के साथ एक पोर्टफोलियो बनाना पसंद कर सकता है। एक निवेशक को अपने पोर्टफोलियो और निवेश के साथ सहज महसूस करना चाहिए, यही वजह है कि हर पोर्टफोलियो के विकास में जोखिम सहनशीलता का आकलन सर्वोपरि है।
जोखिम सहनशीलता (Risk Tolerance) उम्र, पोर्टफोलियो आकार, आय स्थिरता, वित्तीय ताकत और स्वभाव सहित कई अलग-अलग कारकों से प्रभावित हो सकती है। एक निवेशक की जोखिम सहनशीलता निवेश समय सीमा, निवेश उद्देश्यों और निवेश के वास्तविक आकार सहित कई अलग-अलग कारकों पर बहुत प्रभाव डाल सकती है।
1) पोर्टफोलियो मैनेजमेंट (Portfolio Management)
निवेश को मिलाने और मिलान करने और व्यक्तिगत और संस्थागत निवेशकों के लिए प्रदर्शन के खिलाफ संतुलन जोखिम का आकलन करने की कला को पोर्टफोलियो मैनेजमेंट कहा जाता है। पोर्टफोलियो मैनेजमेंट में, ताकत, कमजोरियों, अवसरों और खतरों को दिए गए जोखिम स्तर पर रिटर्न को अधिकतम करने के लिए निर्धारित किया जाता है। पोर्टफोलियो मैनेजमेंट दो रूप ले सकता है: passive और active। पैसिव मैनेजमेंट (इंडेक्सिंग या इंडेक्स निवेश के रूप में भी जाना जाता है) में मार्केट इंडेक्स की सरल ट्रैकिंग शामिल है, जबकि एक्टिव मैनेजमेंट में इनवेस्टमेंट रिसर्च और व्यक्तिगत होल्डिंग्स पर निर्णयों के आधार पर पोर्टफोलियो का मैनेजमेंट करके मार्केट रिटर्न को मात देने का प्रयास शामिल है।
2) परिसंपत्ति आवंटन (Asset Allocation)
एसेट एलोकेशन का उद्देश्य जोखिम को संतुलित करना और एक निवेशक के जोखिम / रिटर्न प्रोफाइल को पुरस्कृत और अनुकूलित करना है। यह संपत्ति के दीर्घकालिक दृष्टिकोण को इस समझ के साथ लागू करके किया जाता है कि विभिन्न प्रकार की संपत्तियां (उदाहरण के लिए, इक्विटी, निश्चित आय और नकद और समकक्ष) दूसरों की तुलना में अधिक अस्थिर हैं और समय के साथ अलग व्यवहार प्रदर्शित करेंगी। परिसंपत्ति आवंटन को समान भार, जोखिम भार, जोखिम समता, जेन्सेन इंडेक्स और ट्रेयनर अनुपात सहित विभिन्न विभिन्न तरीकों से प्रबंधित किया जा सकता है। परिसंपत्ति आवंटन सबसे महत्वपूर्ण निर्णयों में से एक है जो निवेशक करते हैं, इस प्रक्रिया में जोखिम सहनशीलता एक महत्वपूर्ण कारक है।
3) पोर्टफोलियो विविधीकरण (Portfolio Diversification)
प्रमुख सिफारिशों में से एक – विशेष रूप से पहली बार निवेशकों के लिए – अपने पोर्टफोलियो में विविधता लाना है। एक विविध पोर्टफोलियो के साथ, एक ही प्रकार के स्टॉक में सब कुछ निवेश करने के परिणामस्वरूप किसी के पूरे नेट वर्थ को खोने से बचने के लिए निवेश फंड को विभिन्न प्रकार की कंपनियों में विविधता प्रदान की जाती है। एक विविध पोर्टफोलियो जोखिमों को संतुलित करता है, सिंगल निवेश के मूल्य में अचानक गिरावट, किसी दिए गए क्षेत्र या क्षेत्र में अप्रत्याशित घटनाओं और सामान्य रूप से खराब प्रदर्शन करने वाले निवेशों से बचाता है।
एक डाइवर्सिफाइड पोर्टफोलियो को विभिन्न परिसंपत्ति वर्गों और क्षेत्रों में विभाजित किया जाता है, निवेशक अक्सर डायवर्सिफिकेशन के लिए एक मॉडल के रूप में global industry classification standard (GICS) का उल्लेख करते हैं। GICS दृष्टिकोण अर्थव्यवस्था को 10 अलग-अलग क्षेत्रों में विभाजित करता है: ऊर्जा, उपयोगिताओं, वित्तीय, सामग्री, उद्योग, स्वास्थ्य सेवा, उपभोक्ता स्टेपल, सूचना प्रौद्योगिकी, दूरसंचार सेवाएं और उपभोक्ता विवेकाधीन। विभिन्न शेयरों के P/E रेश्यो की तुलना करना स्टॉक एनेलिसिस और सिलेक्शन का एक और सामान्य तरीका है।
4) पोर्टफोलियो वापसी (Portfolio Return)
पोर्टफोलियो रिटर्न निवेशक द्वारा अनुभव किए गए मौद्रिक रिटर्न को संदर्भित करता है और इसकी गणना त्रैमासिक या मासिक money-weighted return मेथड और true time-weighted मेथड सहित विभिन्न तरीकों से की जा सकती है। पोर्टफोलियो के रिटर्न या प्रदर्शन का सही मायने में मूल्यांकन करने के लिए, समग्र रिटर्न की तुलना आवश्यक बेंचमार्क से की जानी चाहिए, जिसे एक स्टैंडर्ड के रूप में उपयोग किया जाता है।
5) पोर्टफोलियो वज़न (Portfolio Weights)
पोर्टफोलियो भार भी पोर्टफोलियो प्रदर्शन मूल्यांकन और विश्लेषण में एक बड़ी भूमिका निभाते हैं। संक्षेप में, पोर्टफोलियो भार सिंगल परिसंपत्ति द्वारा रखे गए निवेश पोर्टफोलियो के प्रतिशत पर लागू होता है। एक पोर्टफोलियो का भार मूल्य, इकाई, लागत, क्षेत्रों और प्रतिभूतियों के प्रकार सहित कई अलग-अलग तरीकों पर लागू हो सकता है।
6) पसंदीदा समय समा (Preferred Time Horizon)
जब निवेश चुनने की बात आती है, तो एक निवेशक के लिए अपने पसंदीदा समय सीमा का अंदाजा होना बेहद जरूरी है। समय सीमा उस समय की लंबाई को संदर्भित करता है, जिस पर एक निवेश को परिसमाप्त होने से पहले किया जाता है और सेकंड से लेकर दशकों तक कुछ भी हो सकता है। लघु अवधि के निवेश में तीन साल से कम की समयावधि होती है, जबकि लंबी अवधि के निवेश में एक दशक या उससे अधिक की समय सीमा होती है।
निवेशक के लक्ष्य निवेश की समय सीमा निर्धारित करने में बहुत बड़ी भूमिका निभाते हैं – उदाहरण के लिए, यदि कोई निवेशक पांच साल में अपनी सेवानिवृत्ति के लिए बचत करना चाहता है या तीन साल के समय में किसी घर में जमा राशि के लिए पैसा बचाना चाहता है, तो समय सीमा क्रमशः पांच साल और तीन साल होंगे – इसलिए, एक अधिक रूढ़िवादी पोर्टफोलियो की सिफारिश की जाएगी, क्योंकि किसी भी नुकसान को पूरा करने के लिए बहुत कम समय होगा। दूसरी ओर, एक युवा निवेशक जो अपने पूरे पोर्टफोलियो को शेयरों में निवेश करना चाहता है, उसके पास खेलने के लिए दशकों का समय होगा और इसलिए वह अधिक एग्रेसिव पोर्टफोलियो रख सकता है और बाजार की किसी भी अस्थिरता से बाहर निकल सकता है।
Conclusion
यदि आपको आज का लेख अच्छा लगा portfolio kya hota hai तो आपसे निवेदन है की हमारे अन्य लेख को पढ़िए ताकि आपको शेयर बाजार से जोड़ी और भी जानकारी प्राप्त हो पायेगी अगर आपके मन में कोई सवाल हो आप हमसे comment के माध्यम से पूछ सकते है आपके सवाल।
FAQs
Q1 : विद्यालय में पोर्टफोलियो क्या होता है?
Ans : एक प्रकार का रिपोर्ट कार्ड या फाइल होता है, जिनमें विद्यार्थी की शैक्षिक और गैर -शैक्षिक, सभी तरह की जानकारी को क्रमबद्ध तरीके से एकत्रित करके रखा जाता है.
Q2 : छात्र पोर्टफोलियो कैसे बनाते हैं?
Ans : सबसे पहले index बनाएं ,Resume भी साथ में बनाएं ,अपने लक्ष्यों के बारे में लिखें ,अपने skills और achievements के बारे में विस्तारपूर्वक बताएं ,अपने कार्य का उदाहरण प्रस्तुत करें ,Testimonials और recommendations जोड़ें।
Q3 : Portfolio कैसे बनाएं?
Ans : अपने लक्ष्यों की पहचान करें. अब, स्टॉक मार्केट में प्रत्येक इन्वेस्टर का लक्ष्य शेयर मार्केट के लिए पोर्टफोलियो कैसे बनाना चाहता है, यह समझना है कि रिटर्न कैसे जनरेट किया जाए; कुछ राशि का फंड इन्वेस्ट करना और उन फंड को वैल्यू में गुणा करने में सहायता करना.,विविधतापूर्ण बनाएं ,चीजें बदलते रहें.
Q4 : पोर्टफोलियो कितने प्रकार के होते हैं?
Ans : पोर्टफोलियो अपने वित्तीय उद्देश्यों को पूरा करने के लिए एक व्यक्ति के स्वामित्व वाली विभिन्न प्रकार की संपत्ति का एक संग्रह है। आज, विभिन्न प्रकार की वित्तीय संपत्तियाँ हैं, जिन्हें आप इक्विटी शेयर्स, म्यूचुअल फंड, डेब्ट फंड, गोल्ड, प्रॉपर्टी, डेरिवेटिव्स आदि से अपने पोर्टफोलियो में शामिल कर सकते हैं।
Q5 : पोर्टफोलियो बनाने में कितना समय लगता है?
Ans : आप किस सामग्री प्रबंधन प्रणाली का उपयोग करने की योजना बना रहे हैं, आपके अनुभव और आपकी साइट की आवश्यकताओं के आधार पर, एक पोर्टफोलियो वेबसाइट को बनाने में कम से कम एक घंटा और हफ्तों तक का समय लग सकता है।