Technical Analysis Kaise Karte Hain | हिंदी में समझिए 2023

दोस्तों क्या आप भी technical analysis kaise karte hain के बारे में जानना चाहते है और चाहते है शेयर मार्किट से पैसा कामना तो आज हम आपको बाटने वाले है क्या तरिका होता है technical analysis करने का और क्यों जरुरी हो जाता है।

  • शेयर मार्किट में technical analysis क्या होते है?
  • technical analysis के फायदे और नुकसान?

आज हम आपको बताने वाले है की कैसे लोग सिर्फ इस technical analysis के बल पर हो जाते है शेयर मार्किट में कैसे और बड़े बड़े लोग जैसे रतन टाटा , Elon Musk , Jeff Bezos , Bill Gates ये सभी लोग करते है trading और क्या ये लोग भी technical analysis करते है।

किसी भी कंपनी में पैसा निवेश करने से पहले तो जी हाँ यही बात हम आपको निचे बताने वाले है तो ध्यान से इस पूरे लेख को पढ़े।

Technical Analysis Kaise Karte Hain

 

Table of Contents

Technical Analysis Kaise Karte Hain

 Technical Analysis का मतलब होता है किसी भी कंपनी के पुराने चार्ट पैटर्न को देख कर ये पता लगना की शेयर की कीमत आने वाले समय में बढ़ सकती है की नहीं इस को हम technical analysis बोलते है सरल भाषा में यानि बोले तो किसी भी शेयर की कीमत आने वाले समय में बढ़ेगी या खटेगी इस का पता करने के लिए हम technical analysis का सहारा लेते है

इसकी कारण हम तय कर पते की कोनसे शेयर में अपने पैसो को निवेश करना फायदेमंद रहेगा और कब किसी शेयर की कीमत बढ़ सकती है जो की शेयर मार्किट में बहुत जरुरी हो जाता है की आप किसी ऐसे शेयर में पैसे निवेश कर दे जो आने वाले समय में हमको नुकसान करा कर दे यही चीज को पता करने के लिए Technical Analysis मदद करता है।

और साथ ही आपको ये भी बता दे की technical analysis short term के लिए आपको मदद कर सकता है लेकिन long term के लिए कभी भी नहीं तो जिनको भी technical analysis सिखने के इच्छुक है उन्हे ध्यान देना है की technical analysis short term के लिए की जाती है न की long term के लिए।

Technical Analysis Karna Kyo Jruri Hai

अगर आप शेयर मार्किट में सफल होना चाहते है इसलिए आपको Technical Analysis इसके आलावा आपके पास और कोई तरीका नहीं है शेयर मार्किट short term में सफल होने का।

एक और तरह की analysis की जाती है जिसे हम fundamental analysis के नाम से हम जानते है इस तरह की analysis में आपको किसी company , Business की research करनी पड़ती है

और जब आप technical analysis तब आपको सिर्फ और सिर्फ कोई भी business के कीमत पर focus करना पड़ता है।

इसलिए आपको technical analysis करना जरुरी होता है ताकि जब आप शेयर मार्किट , commodity market , capital market , forex मार्किट किसी भी तरह की मार्किट में पैसा निवेश करने जा रहे हो।

तो future में कीमत बढ़ जायेगे की नहीं इस कारण आपको Technical Analysis करना सीख लेना चाहिए।

Technical Analysis Kaise Kam Karta Hai

Technical Analysis शेयर मार्किट में कुछ इस तरह से काम करता है जैसे की किसी भी शेयर का price behavior क्या चल रहा है शेयर मार्किट में यानि की सरल भाषा में कहे तो किसी भी शेयर किस तरिके से शेयर मार्किट में move कर रही है।

इसको एक example से समझते है

जैसे की मान लीजिये आपने एक मोबाइल लेने गए जिसकी कीमत अभी बहुत कम चल रही है मार्किट में क्योकि उस मोबाइल की जयादा प्रचार नहीं करा है उस मोबाइल को बनाने वाली कंपनी ने पर अपने उस मोबाइल को तरुंत खरीद लिए।

क्योकि ऐसा मोबाइल बहुत महेगे आते है जिस कीमत पर वो कंपनी उस मोबाइल को बेच रही है तो जब अपने उस को खरीद कर अपने घर पर चले गए और उस मोबाइल को अपने 2 महीने चला लिए तब अपने देखा की उस मोबाइल की कीमत अब बढ़ चुकी है कहां अपने वह मोबाइल 5 हजार रूपए में ख़रीदा था पर आज वह 50,000 रूपए हो चौकी चुकी है तो इस तरह Technical Analysis आपको शेयर मार्किट में मदद करेगा एक अच्छे शेयर को चुनें में।

अब आप ये तो समझ गए की Technical Analysis का पता होना क्यों जरुरी है अब हम देखते है की Technical Analysis करने के लिए आपको trend का पता होना चाहिए।

पहले अब सभी को हम trend का मतलब समझा देते है दोस्तों trend शब्द बताता है की अभी शेयर मार्किट में trending में कोनसा शेयर चल रहा है अगर आप भी trend कैसे देखे जानना चाहते है तो इसकेलिए आपको बाजार का ट्रेंड पता करना आवश्यक होता है। चार्ट पर आपको तीन तरह के ट्रेंड दिखते हैं;

  1. पहला अपट्रेंड (जब मार्केट की दशा ऊपर की ओर होती है),
  2. दूसरा डाउनट्रेंड (जब मार्केट की दशा नीचे की और होती है)
  3. और तीसरा है sideways trend ( जब मार्केट एक ही Range में ऊपर नीचे होता रहता है इसे organic मार्केट भी कहते हैं)

नुकसान से बचने के लिए आपको कभी भी बाजार के trend के विपरीत trading नहीं करनी चाहिए।

कुछ लोग trend reversal अर्थात trend के विपरीत जाकर भी trading करते हैं उसके लिए आपको ट्रेडिंग में सभी chart patterns बारीकी से पता होना जरूरी है।

Technical Analysis यह पता लगाने में काम आता है कि;

  • stock का price ऊपर जाएगा और कब नीचे,
  • कहां पर entry लेना है और कहां पर exit करना है,
  • Target और stop loss क्या होंगे,
  • Support और Resistance लेवल क्या होंगे,
  • खरीदी गई position को किस अवधि तक hold करना चाहिए,
  • कौन सा indicator क्या बताता है,
  • शेयर प्राइस का momentum क्या है,
  • चार्ट पर कब breakout और कब breakdown होने वाला है।

टेक्निकल एनालिसिस में इन सभी चीजों के बारे में पता चलता है लेकिन शर्त यह है कि तकनीकी विश्लेषण में उपयोग होने वाले हर एक basic terms को आप अच्छे से समझते हों जैसे– वॉल्यूम, मोमेंटम, प्राइस एक्शन, इंडिकेटर आदि

चिंता मत कीजिए इन सभी चीजों के बारे में हम नीचे आपको एक-एक करके बताने वाले हैं। उसके बाद हम जानेगें कि टेक्निकल एनालिसिस कैसे करते हैं।

Technical Analysis Kaise Karte Hain

Technical Analysis Me Kya Kya Ata Hai

सबसे पहले आपको technical analysis के अंदर क्या factor आते है और इनका मतलब क्या होता है क्योकि बिना टेक्निकल analysis करना कोई भी फायदा नहीं क्योकि जब तक आपको किसी भी चीज के basics नहीं clear होंगे तब शेयर मार्किट में सफल नहीं है।

Technical analysis करने के लिए आपको बहुत सारी basic terms जैसे; Trading Volume , चार्ट पेटर्न, मोमेंटम, कैंडल्स, हिस्टोरिकल प्राइस, ट्रेंडलाइन, इंडिकेटर्स आदि।

आइये एक-एक करके समझते हैं–

1. Trading Volume

दोस्तों जो पहली term आती है technical analysis के अंदर उसको हम Trading Volume कहते हैं इसका मतलब होता है कि शेयर की संख्या मतलब किसी निश्चित समय में इसी stock में कितने शेयर को खरीदा और बेचा उसे हम Trading Volume कहते हैं

हो सकता है Trading Volume की अवधि 1 दिन हो 1 घंटा हो 1 मिनट या फिर एक हफ्ता ही क्यों ना हो volume को यह बताने में मदद करता है कि किसी भी शेर की कीमत कितनी ऊपर तक जा सकती है और कितना जल्दी से जल्दी ऊपर जाएगा या फिर धीरे-धीरे ऊपर की तरफ बढ़ेगा शेयर की कीमत

इसको हम एक उदाहरण के माध्यम से समझ लेते हैं मान लीजिए आपने एक A नाम का Stock खरीदा जिसकी Trading Volume 1 lakh रूपए है और अन्य तरफ किसी और व्यक्ति ने B नाम का Stock खरीदा ₹5 lakh रूपए में तो अधिक तेजी से कौन सा शेयर बढ़ेगा आप बोलोगे जिसकी कीमत कम है वह बढ़ेगा तो ऐसा बिल्कुल नहीं है जिसकी कीमत ज्यादा है।

उसकी कीमत बहुत ही अधिक तेजी से ऊपर की तरफ बढ़ेगी मतलब स्टोर का volume जितना ज्यादा उसका ऊपर जाना उतना ही अधिक महत्वपूर्ण बन जाता है और वही से तय होता है कि जो निवेशक होते हैं वह खरीदारी करेंगे शेयर की है फिर बेचना शुरू कर देंगे।

इसके अलावा volume को देखकर पता चलता है कि;

  • किसी शेयर में कितनी Liquidity है,
  • किसी शेयर में कितना कारोबार हुआ है,
  • किसी विशेष अवधि में stock की कितनी मात्रा trade की गई है,
  • इसके अलावा trend की ताकत का पता चलता है।

volume को हमेशा चार्ट के नीचे की तरफ हरी और लाल रेखाओं के द्वारा दर्शाया जाता है। अगर लाल रेखाएं ज्यादा है तो इसका मतलब है कि मार्केट में sellers ज्यादा हैं price ऊपर जा सकता है और अगर हरी रेखाएं ज्यादा है तो इसका मतलब है कि मार्केट में buyers ज्यादा हैं इसीलिए प्राइस नीचे जाने की संभावना ज्यादा है।

2. Candles

हिंदी में candles को मोमबत्ती भी बोला जाता है और ट्रेडिंग में मोमबत्ती चार्ट बहुत popular है। technical analysis में candles को समझना बहुत जरूरी है क्योंकि candles के द्वारा ही चार्ट बनते हैं।

कैंडल्स दो प्रकार की होती है;

  1. Red candle
  2. Green candle

चार्ट पर green candle बनने का मतलब है कि मार्केट बुलिश (bullish) है अर्थात बाजार में तेजी आने के संकेत हैं और चार्ट पर red candle बनने का मतलब है मार्केट बेरिश (bearish) है और आज मार्केट में गिरावट या मंदी के संकेत हैं।

प्रत्येक candle दो चीजों से मिलकर बनी होती है– बॉडी और विक

Candle की body यानी शरीर वह भाग है जो आपको लाल या हरे रंग का दिखाई देता है जबकि विक यानी परछाई वह हिस्सा होता है जो कैंडल के ऊपर नीचे निकली हुई रेखाओं के रूप में दिखाई देता है।

Candle कई प्रकार की होती है आपने चार्ट पर देखा होगा कि;

  • कोई Candle बड़ी तो कोई Candle छोटी होती है,
  • किसी Candle की बॉडी बहुत बड़ी होती है और विक बहुत छोटी,
  • जबकि किसी Candle की विक बहुत बड़ी होती है और बॉडी बहुत छोटी,
  • किसी Candle की विक नीचे की तरफ बहुत बड़ी रहती है तो किसी Candle की ऊपर की ओर।

Candle के प्रकार के बारे में किसी अन्य पोस्ट में विस्तार से बात करेंगे। अभी के लिए बस इतना समझ लें कि तकनीकी विश्लेषण में कैंडल का महत्व बहुत ज्यादा है।

कैंडल्स से मिलकर ही candlestick चार्ट pattern बनते हैं। अलग-अलग timeframe पर अलग-अलग प्रकार की कैंडल बनती है।

Candle प्रत्येक अवधि के चार्ट पर अलग-अलग बनती है चाहे वह 1 मिनट, 5 मिनट, 15 मिनट, hourly या weekly चार्ट ही क्यों ना हो सभी पर आपको अलग-अलग कैंडल्स बनते हुए दिखाई देगी।

चार्ट पर कैंडल देखते समय आपको 4 चीजों को देखना पड़ता है– High, Low, Open, Close

  1. High: कैंडल का जो सबसे ऊपरी हिस्सा होता है वह high कहलाता है। कैंडल का हाई देखने से आपको पता चलता है कि प्राइस किसी टाइम फ्रेम पर यहां तक टच किया था।
  2. Low: कैंडल का जो सबसे निचला हिस्सा होता है वह low कहलाता है। कैंडल का लो देखने से आपको पता चलता है कि प्राइस किसी टाइम फ्रेम पर यहां तक टच था।
  3. Open: यहां से कैंडल बनना शुरू होता है।
  4. Close: यहां पर कैंडल का अंत होता है। इसके बाद अगला कैंडल बनने की शुरुआत होती है।

Must Read: Share Market Candles in Hindi (कैंडलस्टिक के सभी प्रकार उदाहरण सहित हिंदी में)

3. सपोर्ट और रेसिस्टेंट

  • Support: जब स्टॉक का मूल्य दो या दो से अधिक बार किसी निश्चित प्राइस लेवल को छूकर ऊपर जाता है तो उसे हम support कहते हैं।
  • Resistance: जब स्टॉक का मूल्य दो या दो से अधिक बार किसी निश्चित प्राइस लेवल को छूकर नीचे जाता है तो उसे हम Resistance कहते हैं।

4. चार्ट पैटर्न

Technical analysis करते समय जब आप चार्ट देखते हैं तो आपको अलग अलग पैटर्न बनते हुए दिखते होंगे। कुछ चार्ट पेटर्न्स के बारे में नीचे बताया गया है-

1. Double Top chart pattern:

जब किसी चार्ट पर प्राइस दो बार किसी same प्राइस लेवल या resistance को टच करके नीचे चला जाता है तो डबल टॉप चार्ट पैटर्न बनता है। यह पैटर्न चार्ट पर ‘M’ के आकार का दिखता है।

इसी प्रकार जब भाव 3 बार उसी रेजिस्टेंस को टच कर के नीचे जाता है तो उसे Triple Top चार्ट पैटर्न बोलते हैं।

2. Double Bottom chart pattern:

जब किसी चार्ट पर price दो बार किसी same support को टच करके ऊपर की ओर चला जाता है तो डबल टॉप चार्ट पैटर्न बनता है। यह पैटर्न चार्ट पर ‘M’ के आकार का दिखता है।

इसी प्रकार जब स्टॉक का मूल्य 3 बार उसी same support को टच कर के ऊपर जाता है तो उसे Triple Bottom चार्ट पैटर्न बोलते हैं।

3. Reversal chart pattern

कोई अपट्रेंड या डाउनट्रेंड लगातार चल रहा है और अचानक से ट्रेंड रिवर्स होना चालू हो जाता है तो उसे हम reversal chart pattern बोलते हैं।

इसके अलावा भी बहुत सारे चार्ट पैटर्न्स होते हैं जैसे; Head and shoulder pattern , Bullish engulfing pattern , bearish engulfing pattern , flag pattern आदि इन सभी के बारे में उदाहरण सहित विस्तार से जानने के लिए नीचे दी गई पोस्ट पढ़ सकते हैं-

  • Chart Patterns in hindi (सभी शेयर मार्केट ट्रेडिंग चार्ट पेटर्न के बारे में उदाहरण सहित पूरी जानकारी)
  • Candlestick Chart Patterns in Hindi (22 बेस्ट कैंडलेस्टिक पेटर्न उदाहरण सहित पूरी जानकारी)

5. Momentum

Momentum किसी स्टॉक या index के ट्रेंड की गति या चाल को दर्शाता है। यह बताता है कि कोई trend कितना ताकतवर है। अगर कोई ट्रेंड धीरे-धीरे ऊपर या नीचे जा रहा है तो इसका मतलब है कि उस ट्रेंड का मोमेंटम कम है और अगर ट्रेड बहुत तेजी से ऊपर या नीचे जा रहा है इसका मतलब है कि मार्केट में मोमेंटम ज्यादा है।

बस मोमेंटम आपको इतना ही बताता है। ऐसा माना जाता है कि अगर आप ज्यादा मोमेंटम वाले स्टॉक में ट्रेड करेंगे तो कम momentum वाले स्टॉक की करना है जल्दी पैसा कमा पाएंगे।

इसलिए आपको अधिक मोमेंटम वाले स्टॉक्स में ही ट्रेडिंग करना चाहिए।

6. Historical Price

Historical Price का मतलब पिछला मूल्य होता है। आपने 52 week High और 52 week Low के बारे में तो जरूर सुना होगा इसको ही Historical Price  कहते हैं जिसकी मदद से हमें भविष्य के संभावित मूल्य का अनुमान लगाने में मदद मिलती है।

अगर कोई स्टॉक अपने 52 वीक हाई को ब्रेक कर देता है तो उस समय उस स्टॉक में एंट्री करना अच्छा माना जाता है क्योंकि वहां से आपको अच्छा खासा uptrend देखने को मिल सकता है।

ठीक इसी प्रकार जब कोई स्टॉक अपने 52 week Low को तोड़ देता है तो उस समय उस स्टॉक में एंट्री (short sell) करना अच्छा माना जाता है क्योंकि वहां से आपको अच्छा खासा downtrend ट्रेंड देखने को मिल सकता है।

(जी हां आप downtrend से भी पैसा कमा सकते हैं short selling करके, या फिर option trading में पुट option खरीदकर)

7. Trendline

जवाब किसी चार्ट पर टेक्निकल एनालिसिस करते हैं तो हमें ट्रेंडलाइन draw करने की जरूरत होती है। दो तरह की trendline होती हैं– Horizontal और Vertical

ट्रेंडलाइन का उपयोग यह सभी चीजें पता करने में किया जाता है–

  • चार्ट पर सपोर्ट और रेजिस्टेंस का पता करने के लिए,
  • प्राइस कहां से कितना ऊपर या नीचे जा सकता है,
  • किस लेवल से ब्रेकआउट और ब्रेकडाउन हो सकता है,
  • इसके अलावा अलग-अलग चार्ट पेटर्न्स को पहचानने में ट्रेंडलाइन का उपयोग किया जाता है।

8. Indicators

Technical analysis में Indicators बहुत सारे होते हैं जो आपको प्राइस मूवमेंट का अनुमान लगाने में मदद करते हैं। साथ ही यह आपको स्टॉक में कहां पर प्रवेश करना है और कहां पर बाहर निकलना है यह भी बताते हैं। इंडिकेटर्स को तकनीकी संकेतक या ऑसीलेटर्स भी बोला जाता है।

शेयर मार्केट में सबसे ज्यादा पॉपुलर और सबसे ज्यादा उपयोग किया जाने वाला तकनीकी संकेतक RSI यानी relative strength index indicators है। जो overbought और overload जोन बताता है।

इसके अलावा moving average , Bollinger Bands और MACD भी काफी ज्यादा प्रयोग में लाए जाने वाले इंडिकेटर्स है।

Must Read: टेक्निकल इंडिकेटर क्या होते हैं – सभी प्रकार के इंडिकेटर की पूरी जानकारी

टेक्निकल एनालिसिस कितने प्रकार की होती है

Technical analysis दो प्रकार से किया जाता है;

  1. Chart pattern पैटर्न को पढ़कर
  2. Indicators को देखकर

1. Chart Pattern के द्वारा

इस तरीके में आपको technical analysis करते समय अलग-अलग प्रकार के चार्ट पेटर्न का विश्लेषण करना पड़ता है। विभिन्न प्रकार के शेयर मार्केट चार्ट को study करना और समझना पड़ता है।

इस तकनीकी विश्लेषण में चार्ट पर बन रहे अलग-अलग पैटर्न को देखकर सपोर्ट और रेजिस्टेंस एरिया का पता लगाया जाता है।

2. Indicators के द्वारा

कुछ लोग technical analysis में सिर्फ इंडिकेटर या तकनीकी संकेतक का उपयोग करके ट्रेडिंग करते हैं। उन्हें चार्ट पेटर्न से कोई मतलब नहीं होता है। अगर इंडिकेटर इशारा कर रहा है कि भविष्य में किसी स्टॉक की कीमत ऊपर जा सकती है तो वह ट्रेडर्स उस स्टॉक को खरीद लेते हैं।

और जब वह इंडिकेटर ट्रेंड रिवर्सल का संकेत देता हैं तो ट्रेडर उस स्टॉक से exit होकर प्रॉफिट बुक कर लेते हैं।

Technical Analysis me Chart Kitne Prakar Ke Hote Hai

अगर आप टेक्निकल एनालिसिस में सिर्फ चार्ट को देखकर ट्रेडिंग करते हैं तो आपको अलग-अलग चार्ट और चार्ट पैटर्न के बारे में पता होना बहुत जरूरी है।

शेयर मार्केट में 3 तरह के चार्ट होते हैं–

  1. लाइन चार्ट: शेयर बाजार में लाइन चार्ट सबसे सिंपल चार्ट होता है। जब आप किसी चार्ट के बारे में सोचते हैं तो आपके मन में लाइन चार्ट ही आता है। इस चार्ट में आपको केवल प्राइस और ट्रेडिंग वॉल्यूम के बारे में जानकारी मिलती है।
  2. बार चार्ट: इस चार्ट में लाइन चार्ट से अधिक जानकारी मिलती है। बार चार्ट vertical (खड़ी) रेखाओं से मिलकर बना होता है। प्रत्येक vertical line पर दो horizontal line होती हैं जो open और close प्राइस को दर्शाती हैं। vertical line का सबसे ऊपरी हिस्सा High और सबसे निचला हिस्सा Low कहलाता है।
  3. कैंडलस्टिक चार्ट: टेक्निकल एनालिसिस में यह ट्रेडर्स के बीच सबसे पॉपुलर चार्ट है क्योंकि कैंडलेस्टिक चार्ट में आप को सबसे ज्यादा information मिलती है। कैंडल्स के बारे में हम पहले ही बात कर चुके हैं। यह चार्ट अलग-अलग प्रकार की लाल और हरी कैंडल्स से मिलकर बना होता है। इसे मोमबत्ती चार्ट भी कहते हैं क्योंकि चार्ट पर जो कैंडल बनती हैं उनका आकार बिल्कुल मोमबत्ती की तरह होता है।

स्टॉक का तकनीकी विश्लेषण कैसे करें? (Technical Ananlysis of a stock in hindi)

चार्ट पर किसी शेयर का टेक्निकल एनालिसिस कैसे करें;

  1. कैंडलस्टिक पैटर्न्स देखें
  2. अलग-अलग समय अवधि पर चार्ट देखें
  3. चार्ट पेटर्न को पढ़ने की कोशिश करें
  4. सपोर्ट और रेजिस्टेंस लेवल पता करें
  5. ट्रेडिंग में तकनीकी टूल्स का उपयोग करें
  6. स्टॉक में सही समय पर एंट्री का पता करें
  7. पता करो कि किस टारगेट प्राइस पर एग्जिट करना है
  8. स्टॉप लॉस जरूर लगाएं
  9. अलग-अलग तकनीकी संकेतक का उपयोग करें

1. Candlestick pattern देखें

वैसे तो कैंडलस्टिक पेटर्न बहुत सारे होते हैं लेकिन यहां पर हम 3 सबसे जरूरी कैंडलेस्टिक पेटर्न के बारे में बात करने वाले हैं–

  1. बुलिश इंगल्फिंग पैटर्न
  2. बेरिश इंगल्फिंग पैटर्न
  3. हैमर पैटर्न

1. बुलिश इंगल्फिंग पैटर्न

जब भी ट्रेडिंग चार्ट पर कोई ऐसी ग्रीन कैंडल बनती है जिसकी बॉडी काफी बड़ी होती है तो उसे हम बुलिश इंगल्फिंग कैंडल कहते हैं। जब चार्ट पर ऐसी कैंडल दो या दो से अधिक बार बनती है तो उसे बुलिश इंगल्फिंग पैटर्न (bullish engulfing pattern) बोला जाता है।

यह एक ब्रेकआउट पैटर्न है मतलब जब भी हमें चार्ट पर बुलिश इंगल्फिंग पैटर्न दिखे तो आपको buy करना है। क्योंकि यह पैटर्न बताता है कि मार्केट में तेजी आने वाली है।

2. बेरिश इंगल्फिंग पैटर्न

जब भी ट्रेडिंग चार्ट पर कोई रेड ग्रीन कैंडल बनती है जिसकी बॉडी काफी बड़ी होती है तो उसे हम बेरिश इंगल्फिंग कैंडल कहते हैं। जब चार्ट पर ऐसी कैंडल दो या दो से अधिक बार बनती है तो उसे बेरिष इंगल्फिंग पैटर्न (bearish engulfing pattern) बोला जाता है।

यह एक breakdown पैटर्न है मतलब जब भी हमें चार्ट पर बेरिश इंगल्फिंग पैटर्न दिखे तो आपको sell करना है। क्योंकि यह पैटर्न बताता है कि मार्केट में गिरावट होने वाली है।

3. हैमर पैटर्न

जब किसी candle की बॉडी बहुत छोटी होती है लेकिन उसकी विक नीचे की ओर बहुत बड़ी होती है तो उसे हम हैमर कैंडल बोलते हैं। जब चार्ट पर हैमर कैंडल दो या दो से अधिक बार बनती है तो उसे हैमर पैटर्न (hammer pattern) बोला जाता है। इसे pin bar pattern भी कहते हैं।

क्योंकि इस कैंडल की विक या छाया देखने में एक पिन की तरह लगती है। यह pin प्राइस रिजेक्शन को दर्शाती है इसका मतलब है कि जिस और यह पिन बनती है प्राइस उस तरफ नहीं जाना चाहता है। अगर प्राइस का डायरेक्शन नीचे है तो इसका सिंपल मतलब है कि मार्केट नीचे नहीं जाना चाहता।

और इसकी बॉडी पावर को दर्शाती है मतलब अगर बॉडी Green है तो यह bulls की पावर को दर्शाती है और अगर बॉडी Red है तो यह बताती है कि मार्केट में bears हावी हैं।

इसी तरह अगर bearish hammer candle बनती है मतलब की बॉडी लाल होती है और विक ऊपर की ओर बहुत बड़ी होती है वह कैंडल मार्केट में sellers की ताकत को दर्शाती है।

अभी के लिए आप बस इतना समझ लीजिए कि hammer कैंडल की विक जितनी बड़ी होती है मार्केट में buy या sell का संकेत उतना ही मजबूत होता है।

मतलब जिस तरफ पिन है मार्केट उस तरफ नहीं जाना चाहता इसलिए आपको पिन या विक के विपरीत दिशा में ट्रेड करना है।

2. अलग-अलग टाइम फ्रेम पर चार्ट देखें

मार्केट में अलग-अलग ट्रेडर्स को अलग-अलग टाइमफ्रेम पर ट्रेड करना चाहिए।

बाजार में दो तरह के ट्रेडर होते हैं-

  1. इंट्राडे ट्रेडर
  2. स्विंग ट्रेडर
  • इंट्राडे ट्रेडर: इंट्रा डे ट्रेडर वह होता है जो उसी दिन अपनी सभी पोजीशन को close कर देता है। मतलब जो सुबह 9 बजे से 3:30 बजे के बीच ट्रेड करता है मतलब वह अगले दिन के लिए होल्ड नहीं करता है उसे हम intraday trader कहते हैं।
  • स्विंग ट्रेडर: स्विंग ट्रेडर वह व्यक्ति होता है जो 1 दिन से अधिक के लिए ट्रेड करता है हो सकता है वह 2 दिन, 1 सप्ताह, 15 दिन या 1 महीना। तो इस प्रकार ट्रेड करने वाला व्यक्ति swing trader कहलाता है।

अब बात करते हैं कि किस ट्रेडर के लिए चार्ट पर कौन सा टाइम फ्रेम बेस्ट है मतलब आपको chart पर किस टाइमफ्रेम को अप्लाई करके ट्रेडिंग करनी चाहिए ताकि अधिक से अधिक फायदा हो।

इंट्राडे ट्रेडिंग के लिए बेस्ट टाइम फ्रेम–

अगर आप एक इंट्राडे ट्रेडर हैं तो आपके लिए 5 मिनट का टाइम फ्रेम बेस्ट है। इसके अलावा आप 15 मिनट का टाइमफ्रेम भी इस्तेमाल कर सकते हैं। मतलब इंट्रा डे ट्रेडर को 5 मिनट या 15 मिनट के चार्ट पर ही ट्रेड करना चाहिए

कुछ लोग इंट्राडे ट्रेडिंग में 1 घंटे वाला चार्ट देखते हैं और बाद में जब कोई अच्छा ट्रेड नहीं मिलता है जिससे उन्हें नुकसान होता है।

आपको समझना होगा कि 1 hour चार्ट पर 1 घंटे में सिर्फ एक कैंडल बनती है जबकि इंट्राडे ट्रेडिंग में आपको बहुत शॉर्ट टाइम में ट्रेडिंग करनी पड़ती है। और इसीलिए जब आप hourly चार्ट देखते हैं तो आपको मार्केट में प्राइस मूवमेंट का सही अंदाजा नहीं मिलता।

इसलिए इंट्राडे ट्रेडिंग करते समय हमेशा 5 मिनट और 15 मिनट के चार्ट का ही उपयोग करें।

स्विंग ट्रेडिंग के लिए बेस्ट टाइम फ्रेम–

स्विंग ट्रेडिंग में चार्ट पर 1 घंटे का टाइम फ्रेम देखना सबसे अच्छा होता है। लेकिन अगर आप क्रिप्टो या फॉरेक्स मार्केट में ट्रेड करते हैं तो 4 hour यानी 4 घंटे टाइम फ्रेम का चार्ट देखना बेस्ट रहता है।

(आपको पता होगा कि क्रिप्टो और फॉरेक्स मार्केट 24 घंटे खुले रहते हैं इसीलिए 4 घंटे का चार्ट उनमें सबसे अच्छी तरीके से काम करता है जबकि स्टॉक मार्केट में 4 घंटे का चार्ट देखने का कोई मतलब नहीं बनता)

अगर आप शेयर मार्केट में भी कुछ हफ्ते या महीने के लिए स्विंग ट्रेडिंग करते हैं तो 1 दिन टाइम फ्रेम का चार्ट आपके लिए बेस्ट होता है।

अब तक हमने बात की इंट्राडे और स्विंग ट्रेडिंग में बेस्ट टाइम फ्रेम कौन सा उपयोग करना चाहिए।

लेकिन याद रखिए; किसी भी चार्ट पर जब आपको आप सपोर्ट और रेजिस्टेंस लेवल पता करने होते हैं तो 15 मिनट का टाइम फ्रेम सबसे बेस्ट होता है।

जबकि अगर आप कैंडलस्टिक चार्ट पेटर्न को देखकर ट्रेड करते हैं तो 5 मिनट टाइम फ्रेम का चार्ट देखना सबसे अच्छा होता है।

3. सपोर्ट और रेजिस्टेंस लेवल पता करें

जब प्राइस किसी लेवल से टकराकर बार-बार रिवर्स (reverse) होता है तो वह ट्रेडिंग में एक विशेष लेवल होता है।

  • अगर किसी लेवल से प्राइस बार-बार टकराकर को ऊपर जा रहा है मतलब प्राइस किसी विशेष लेवल से नीचे जाने को तैयार नहीं है तो वह सपोर्ट लेवल कहलाता है।
  • और जब price किसी लेवल से बार-बार टकराकर को नीचे जा रहा है तो वह रेजिस्टेंस लेवल कहलाता है।

जब प्राइस किसी रेजिस्टेंस लेवल को तोड़ देता है और या वह नया resistance बनाता है तो पुराना रेजिस्टेंस अब उसका सपोर्ट लेवल बन जाता है।

तो अब आप सपोर्ट और रेजिस्टेंस को समझ गए होंगे कि सपोर्ट किसी प्राइस को गिरने नहीं देता है और रेजिस्टेंस किसी प्राइस को बढ़ने नहीं देता है।

4. चार्ट पेटर्न को पढ़ने की कोशिश करें

टेक्निकल एनालिसिस में कुछ लोग सिर्फ चार्ट पेटर्न देखकर ट्रेडिंग करते हैं। वैसे तो ट्रेडिंग में बहुत सारे चार्ट पेटर्न होते हैं जिनके बारे में हम पहले ही बात कर चुके हैं। लेकिन मैं आपको दोबारा याद दिला दूं कि डबल टॉप और डबल बॉटम चार्ट पेटर्न सबसे ज्यादा important होते हैं।

अगर डबल टॉप चार्ट पेटर्न बनता है तो इसका मतलब है कि आपको शार्ट सेल करना है क्योंकि इस चार्ट पैटर्न में आप Top पर एंट्री ले सकते हैं और bottom पर sell करके प्रॉफिट कमा सकते हैं।

ठीक इसी प्रकार अगर डबल बॉटम चार्ट पेटर्न बनता है तो इसका मतलब है कि आपको buy करना है। इस चार्ट पैटर्न में आप bottom पर एंट्री ले सकते हैं और ऊपर की ओर किसी टारगेट पर exit करके प्रॉफिट कमा सकते हैं।

डबल टॉप और बॉटम चार्ट पेटर्न के अलावा आप हेड एंड शोल्डर और फ्लैग चार्ट पेटर्न का भी उपयोग कर सकते हैं।

चार्ट पैटर्न को समझने और identify करने के लिए आपको चार्ट पर trendline खींचना पड़ता है जिससे किसी विशेष trend का पता चलता है।

Tradingview वेबसाइट पर आपको चार्ट का उपयोग करने के लिए सभी महत्वपूर्ण ट्रेडिंग टूल मिल जाएंगे।

जब आप किसी सपोर्ट या रेजिस्टेंस पर ट्रेंडलाइन बनाते हैं और अगर प्राइस उस ट्रेंडलाइन के ऊपर या नीचे जाता है तो वह ब्रेकआउट या ब्रेकडाउन का संकेत होता है।

और ब्रेकआउट या ब्रेकडाउन होने पर आप शेयर में एंट्री ले सकते हैं और बहुत चांसेस होते हैं कि स्टॉक में बड़ी रैली देखने को मिलेगी फिर चाहे वह आप uptrend में हो या downtrend में।

शुरुआती ट्रेडर्स को लगता है कि वह सिर्फ uptrend से ही पैसा कमा सकते हैं लेकिन आप शॉर्ट सेलिंग करके डाउनट्रेंड से भी अच्छा खासा पैसा कमा सकते हैं। मतलब मार्केट में तेजी हो या मंदी कोई फर्क नहीं पड़ता, आप दोनों ही situation में टेक्निकल एनालिसिस के जरिए ट्रेडिंग करके पैसा कमा सकते हैं।

5. स्टॉक में सही समय पर एंट्री का पता करें

टेक्निकल एनालिसिस में जब आप डबल टॉप चार्ट पेटर्न को देखकर ट्रेडिंग करते हैं तो ब्रेक आउट पर जब बुलिश इंगल्फिंग कैंडल बनती है तो इस कैंडल के हाई पर आपको buy करना है मतलब उस स्टॉक में एंट्री लेनी है।

मतलब buy आपको केवल ब्रेकआउट पर करना है

या फिर जब डबल बॉटम चार्ट पेटर्न पर सपोर्ट लेवल पर बड़ी green candle बने तब buy करना है।

अब आप समझ चुके होंगे किसी स्टॉक में एंट्री कब और किस समय लेना चाहिए।

अब बात करते हैं स्टॉक से exit कब और किस समय करना चाहिए मतलब स्टॉक को खरीदने के बाद टारगेट क्या होना चाहिए।

6. पता करो कि टारगेट प्राइस पर कहां एग्जिट करना है

स्टॉक का अगला रेजिस्टेंस लेवल ही आपका टारगेट होना चाहिए जिस पर आप अपनी पोजीशन को exit कर सकते हैं। अगर आप स्विंग ट्रेडिंग करते हैं तो आपको सपोर्ट पर entry लेकर resistance पर exit करना चाहिए।

अब जरूरी नहीं है कि सपोर्ट या रेजिस्टेंस लेवल बिल्कुल exact ही होगा बल्कि है थोड़ा बहुत ऊपर नीचे भी हो सकता है।

इसलिए आपने कई बार बार देखा होगा कि प्राइस सपोर्ट लेवल तक भी नहीं आ पाता और buying शुरू हो जाती है मतलब सपोर्ट लेवल के नजदीक आते ही स्टॉक ऊपर जाना शुरू हो जाता है।

ठीक ऐसा ही रेजिस्टेंस पर भी देखने को मिलता है।

लेकिन चिंता मत कीजिए मार्केट में ट्रेडिंग करते करते आपको इन सभी चीजों का अनुभव हो जाएगा।

7. Stop Loss जरूर लगाएं

आप कितनी भी टेक्निकल एनालिसिस क्यों ना कर लें अगर आप स्टॉपलॉस नहीं लगाते हैं तो आपका पूरा कैपिटल एक ही झटके में खत्म हो सकता है। इसलिए ट्रेडिंग करते समय स्टॉपलॉस लगाना बहुत जरूरी होता है।

लेकिन अब सवाल आता है कि स्टॉप लॉस कहां पर लगाना चाहिए?

मान लीजिए आपने किसी स्टॉक में 350 रुपये के भाव पर एंट्री ली है ओर 390 आपका टारगेट प्राइस है तो आपका स्टॉप लॉस 330 होगा।

तो यह हमने कैसे निकाला?

आपको बस यह देखना होता है कि जो आप का टारगेट प्राइस है स्टॉप लॉस हमेशा उसका आधा होना चाहिए।

जैसे; ऊपर हमने देखा कि आपका टारगेट 40 रुपये (350 rs से 390 rs) था तो इसीलिए stoploss हुआ 40/2 = 20 रुपये

लगभग सभी ट्रेडर्स इसी मेथड का उपयोग करके से स्टॉप लॉस लगाते हैं।

लेकिन अगर आप बहुत ज्यादा कैंडलेस्टिक चार्ट पेटर्न को देखकर ट्रेडिंग करते हैं तो आपको सपोर्ट और रेजिस्टेंस को देखकर स्टॉपलॉस लगाना होता है जैसे;

  • अगर आपने रेजिस्टेंस लेवल पर शार्ट सेल किया है जब उसने रेजिस्टेंस से प्राइस गिरना शुरू होता है तो चार्ट के सपोर्ट पर जो आखिरी कैंडल बनी है उस कैंडल का low आपका stop loss होना चाहिए।

आशा करता हूं अब आप स्टॉपलॉस का कांसेप्ट समझ गए होंगे।

8. अलग-अलग तकनीकी इंडिकेटर्स का उपयोग करें

जैसा कि मैंने बताया था टेक्निकल एनालिसिस करते समय लोग दो तरह से ट्रेडिंग करते हैं-

चार्ट पेटर्न को देखकर और इंडिकेटर्स को देखकर। अब तक हमने चार्ट पेटर्न्स के द्वारा तकनीकी विश्लेषण करने की बात की अब इंडिकेटर्स के बारे में बात कर लेते हैं.

शेयर मार्केट में इंडिकेटर्स को ऑसिलेटर्स या तकनीकी संकेतक भी कहते हैं। इंडिकेटर्स आपको किसी निश्चित प्राइस के ऊपर खरीद या बेचने का संकेत देते हैं। इंडिकेटर्स को आप किसी भी स्टॉक या इंडेक्स (निफ्टी, बैंकनिफ्टी) के चार्ट पर अप्लाई कर सकते हैं।

आइए कुछ महत्वपूर्ण इंडिकेटर्स के बारे में बात कर लेते हैं–

1. RSI indicator

शेयर मार्केट ट्रेडिंग में RSI (रिलेटिव स्ट्रेंथ इंडेक्स) इंडिकेटर ट्रेडर्स के बीच सबसे ज्यादा पॉपुलर है। यह चार्ट पर एक रेखा के रूप में दिखता है जो मार्केट की दिशा के अनुसार ऊपर नीचे होती रहती है।

यह 0 से 100 के बीच एक सिंगल रेखा होती है जो बाजार में ओवरबॉट और ओवरसोल्ड जोन को बताती है।

अगर किसी स्टॉक का RSI 70 से ऊपर है तो वह overbought मार्केट को दर्शाता है मतलब मार्केट में बहुत ज्यादा खरीदारी हो चुकी है और अब संभावना है कि लोग अपने खरीदे गए स्टॉक sell करेंगे।

अगर RSI 30 से नीचे है बाजार ओवरसोल्ड (oversold) माना जाता है मतलब मार्केट में बहुत ज्यादा बिकवाली हो चुकी है और अब तेजी की संभावना है।

2. ADX indicator

ADX (Average direction index) trading में इस्तेमाल होने वाला वह indicators है जो trade की मजबूती को दर्शाता है। indicators की value 0 से 100 के बीच होती है। value जितनी ज्यादा होगी ट्रेड उतना ही ताकतवर होगा।

ADX indicators में कुल 3 रेखाएं होती हैं जो पॉजिटिव और नेगेटिव मार्केट की डायरेक्शन के बारे में बताती हैं।

3. Moving Average

मूविंग एवरेज वह तकनीकी इंडिकेटर या ट्रेडिंग टूल है जो पिछले प्राइस कि movement का analysis करके आपको trading करने का अवसर प्रदान करता है। trading चार्ट पर यह एक रेखा के रूप में नजर आता है।

ट्रेडर्स अलग-अलग समय अंतराल के मूविंग एवरेज का इस्तेमाल करते हैं जैसे- ma5, ma10, ma20

  • ma5 का मतलब है 5 दिन का मूविंग एवरेज मतलब यह 5 दिन की एवरेज प्राइस मूवमेंट को दर्शाता है। इसी प्रकार ma10 और ma20 10 और 20 दिन के मूविंग एवरेज हैं।

Moving Average indicator पिछले प्राइस की मूवमेंट को ट्रैक्टर के भविष्य के प्राइस की movement का अनुमान लगाने में मदद करता है। अधिकतर समय इस indicator की भविष्यवाणी सही होती है इसीलिए बहुत सारे लोग चार्ट पर मूविंग एवरेज तकनीकी संकेतक का उपयोग करते हैं।

4. VWAP

VWAP का मतलब होता है वॉल्यूम वेटेड एवरेज प्राइस. यह तकनीकी संकेतक भी चार्ट पर एक रेखा के रूप में दिखाई देता है। vwap indicator यह बताता है कि अलग-अलग स्ट्राइक प्राइस पर किसी स्टॉक के प्राइस पर कहां पर वॉल्यूम ज्यादा है और कहां पर कम।

मतलब जब प्राइस VWAP रेखा के नजदीक आता है तो वहां से स्टॉक में entry के chances होते हैं। बहुत बार प्राइस सिर्फ vwap से टकराकर वापस लौट जाता है यह मैटर नहीं करता uptrend या downtrend दोनों ही situation में आप इस technical indicator का फायदा उठा सकते हैं।

अधिकतर लोग ऑप्शन ट्रेडिंग में VWAP indicator का इस्तेमाल करते हैं क्योंकि उसमें अलग-अलग price पर call और put option खरीदने में भी vwap काफी महत्वपूर्ण जानकारी देता है।

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अब तक आप Technical analysis के बारे में काफी चीजें जान चुके होंगे जैसे– Technical analysis के Basic terms, अलग-अलग tools , indicators , chart patterns आदि।

टेक्निकल एनालिसिस करने के लिए लोग इनके अलावा भी बहुत कुछ कर सकते हैं जैसे; technical analysis  की books पढ़ना, सफल traders को follow करना, risk management सीखना, trading psychology पर focus करना आदि।

ये भी पढ़ें,

Technical Analysis Karne ke Fayede

Adavanges of Technical Analysis in hindi:

  • टेक्निकल एनालिसिस करने का सबसे पहला फायदा यह है कि आपको पहले ही पता चल जाता है कि प्राइस ऊपर जाएगा या नीचे।
  • टेक्निकल एनालिसिस आपको प्राइस की संभावित मूवमेंट पता लगाने में मदद करता है।
  • इसकी मदद से आप बहुत कम समय में बहुत ज्यादा पैसा कमा सकते हैं।
  • मार्केट में तेजी या मंदी का पता पहले ही चल जाता है।
  • ट्रेंड रिवर्सल का पता लगाने में मदद मिलती है।
    चार्ट पर अगली कैंडल कौन सी बनेगी, यह पता लगा सकते हैं।
  • किसी स्टॉक के प्राइस behaviour का पता आसानी से लगा सकते हैं।
  • स्टॉक में एंट्री और एग्जिट फाइंड आसानी से पता लगा सकते हैं।
  • चार्ट पेटर्न पढ़ना और ट्रेंड की मदद से ट्रेडिंग करना आसान हो जाता है।

जानिए–

Technical Analysis Kaise Karte Hain

Conclusion

दोस्तों आज लेख में हमने technical analysis kaise karte hain के बारे में विस्तार से समझ लिया है और अगर आपको कोई भी बात न समझ आयी आप उस जगह वीडियो का सहारा ले सकते है और कुछ भी पूछना हो तो हमे comment में बातये।

FAQs

Q1 : तकनीकी विश्लेषण कैसे करते हैं?

Dow के सभी तीन निवेश सिद्धांतों के बारे में स्पष्ट रूप से समझें। एक छोटी अवधि के लिए परिणामों की तलाश करने की कोशिश करें। स्टॉक के रुझानों को समझने की कोशिश करें। समर्थन और प्रतिरोध का एक विचार प्राप्त करें। बाजार में ट्रेड वॉल्यूम के बारे में जानें।

Q2 : ट्रेडिंग एनालिसिस कैसे सीखें?

तकनीकी विश्लेषण सीखने का सबसे अच्छा तरीका मूल सिद्धांतों की ठोस समझ हासिल करना है और फिर उस ज्ञान को बैकटेस्टिंग या पेपर ट्रेडिंग के माध्यम से लागू करना है।

Q3 : तकनीकी विश्लेषण हिंदी क्या है?

तकनीकी विश्लेषण (तकनीकी विश्लेषण) किसी स्टॉक के पिछले दिनों/सप्ताह/महीने/वर्षों में ट्रेड किए गए स्टॉक की कीमत और वॉल्यूम से संबंधित है।

Q4 : तकनीकी विश्लेषण में आप क्या सीखते हैं?

तकनीकी विश्लेषण पाठ्यक्रमों में शामिल कौशल में मूल्य चार्ट पैटर्न, व्यवहारिक वित्त सिद्धांत और विश्लेषण-आधारित व्यापार अवसर शामिल हो सकते हैं।

Q5 : तकनीकी विश्लेषण कितने प्रकार के होते हैं?

तकनीकी विश्लेषण के दो प्रमुख प्रकार चार्ट पैटर्न और तकनीकी (सांख्यिकीय) संकेतक हैं।

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